हाल के वर्षों में, इस्लामोफोबिया ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, खासकर यूरोपीय देशों में मुस्लिम नागरिकों के लिए कई समस्याएं पैदा की हैं। इस्लामी मस्जिदों और केंद्रों पर हमले, प्रकाशनों में इस्लामी प्रतिबंधों का अपमान, और कुछ पश्चिमी मीडिया में इस्लाम के अवांछनीय और अवास्तविक चित्रणों का प्रतिबिंब, और चुनाव प्रचार के लिए एक उपकरण के रूप में इस्लामोफोबिया का उपयोग जैसी समस्याएँ हैं, जो आज मुसलमानों के सामने विभिन्न देशों में खतरों में शुमार होती हैं।
एकना संवाददाता ने जॉर्जिया में मुस्लिम कार्यालय के प्रमुख शेख रामीन इगिडोव के साथ बात की और विभिन्न कोणों से इस वैश्विक दुविधा पर समीक्षा की।
रामिन इगिडोव ने यह बयान करते हुए कि पश्चिमी देशों में इस्लामोफोबिया पिछली सदी के आखिरी दशक से बढ़ रहा है, कहाः कि इस्लाम विरोधी लोग इस्लामोफोबिया को बढ़ावा दे रहे हैं और कई चरमपंथी समूहों के अस्तित्व के बहाने पूरे इस्लाम धर्म का विरोध कर रहे हैं। कुछ के बीच यह धारणा है कि इस्लामोफोबिया की समस्या 9/11 से शुरू हुई थी, लेकिन वास्तव में हमने 1990 के दशक से इस समस्या को बढ़ता देखा है।
उन्होंने कहा: पश्चिमी देशों में, इस्लामोफोबिया को विभिन्न तरीकों से मनुष्यों में इंजेक्ट किया गया है। मीडिया, फिल्मों, बच्चों के कंप्यूटर गेम, वृत्तचित्र और विज्ञापनों में, हम इस्लामोफोबिया का सामना करते हैं, और कभी-कभी डेनमार्क, नॉर्वे और फ्रांस जैसे देशों के समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में, हमने इस्लामोफोबिया और पवित्र पैगंबर( PBUH) के पवित्र स्थान का अपमान देखा है और कभी 9/11 की सालगिरह पर पवित्र कुरान को जलाने के दावे के साथ।
इस्लाम विरोधी धाराओं का उद्देश्य
जॉर्जियाई मुस्लिम प्रशासन प्रमुख नने जारी रखते कहा: इस्लामोफोबिया आम लोगों द्वारा बनाई गई घटना नहीं है, उन्होंने कहा। ऐसी जानकारियां है कि कुछ समूहों और आंदोलनों द्वारा इसे फैलाने के लिए करोड़ों डॉलर खर्च किए जाते हैं, और इसका उद्देश्य पश्चिमी लोगों में इस्लाम के वृद्धि और उन देशों में मुस्लिम आबादी की वृद्धि को रोकना है।
इगिडोव ने इस बयान के साथ कि, चरमपंथी और तक्फ़ीरी समूहों की गतिविधियों का उपयोग करने के बहाने इस्लाम-विरोधी इस्लामोफोबिया फैला रहे हैं। कहाः उन्हें अधिक मुस्लिमों को पश्चिमी देशों में पलायन करने से रोकना है इस्लामोफोबिया बढ़ने का यह एक और कारण है ता कि गैर-सरकारी संगठन भी मुसलमानों का बचाव न कर सकें हैं।और दूसरा कारण इसका उपयोग इस्लामिक देशों पर हमला करने और मध्य पूर्व में युद्ध और संकट पैदा करने के लिए बहाने और वैधता बनाना है।
यह देखते हुए कि इस्लामोफोबिया एक ऐसी समस्या है, जो पूरी दुनिया के लिए खतरा है, उन्होंने कहा: "जहां इस्लामोफोबिया है, वहां इसका सामना करने के लिए प्रतिक्रियाएं हैं।" इस बात के सबूत हैं कि इस्लामोफोबिया ने मजबूत मानवीय प्रतिक्रियाओं या शारीरिक संघर्ष को उकसाया है। अगर इसे रोका नहीं गया तो विश्व शांति और स्थिरता हिल जाएगी और चरमपंथ को सत्ता हासिल हो जाऐगी।
इगिडोव ने कहा, "अगर कोई इस्लाम विरोधी घटना कहीं घटित होती है और इस घटना पर शारीरिक प्रतिक्रिया होती है, तो निर्दोष लोग भी मर सकते हैं।" यह धर्मों के बीच संवाद और बातचीत को भी बाधित करेगा, धार्मिक और राष्ट्रीय भेदभाव पैदा करेगा, और मनुष्यों के बीच शांति और दोस्ती पर आधारित संबंधों को नष्ट करेगा।
इस्लामोफोबिया के खिलाफ व्यावहारिक कार्रवाई की आवश्यकता
जॉर्जियाई मुस्लिम प्रशासन के प्रमुख ने कहा: इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए इस्लामी देशों के लिए कुछ बिंदुओं का निरीक्षण करना आवश्यक है। मुसलमानों में सच्ची और ईमानदार एकजुटता और एकता का अस्तित्व आवश्यक और महत्वपूर्ण है; ऐसी एकता जो सिर्फ कागज़ पर न हो। मुसलमानों को भी दूसरों की तुलना में चरमपंथी, तक्फ़ीरी और आतंकवादी समूहों की कार्रवाई की निंदा करनी चाहिए और घोषणा करनी चाहिए कि उनके कार्यों का इस्लाम से कोई लेना-देना नहीं है। तब दुनिया देखेगी कि मुसलमान वास्तव में उन्हें अपनों में नहीं जानते हैं।
अंत में, उन्होंने कहा, इस्लामिक देशों को इस्लाम विरोधी कानूनों के पारित होने या अन्य देशों में इस्लाम का अपमान होने पर निंदा संदेश जारी तथा विभिन्न व्यावहारिक तरीकों जैसे राजनीतिक संबंधों और आर्थिक प्रतिबंधों की समीक्षा करके इन बातों का मुक़ाबला करना चाहिए।
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